हृदय रोग क्या है ? जानिए इसके बारें में विस्तार से।

हृदय रोग क्या है : दिल की बीमारी कभी- कभी प्राणघातक भी साबित होती है ।लेकिन सावधानी से रहते हुए, इस बीमारी को मात दी जा सकती है ,इसके लिए अच्छी आदतों के साथ  दिनचर्या का संयम पूर्वक पालन करना होता है। जिससे ना केवल आपका हृदय स्वस्थ रहेगा ,इसके साथ ही आपकी आयु में भी वृद्धि होगी ।

हृदय रोग क्या है ?

दिल से संबंधित ऐसी समस्या जो विशेष तौर पर हृदय को प्रभावित करती है। इस प्रकार की व्याधि को हृदय रोग कहते हैं। सामान्य तौर पर हृदय किस से संबंधित बीमारी को कोरोनरी धमनी रोग को ही हृदय रोग समझा जाता है यह पूर्ण रूप से असत्य है ह्रदय से संबंधित बहुत सी बीमारियां रोगी को  समय – समय पर  घेर लेती है।

हृदय रोग के लक्षण क्या है ?

दिल के रोगी  को इस तरह के लक्षण महसूस हों तो उसे गंभीरता से लें।

  • हृदय से संबंधित रोगी को आमतौर पर उसकी धमनियों ब्लॉक हो जाती है ।जिससे सीने पर दबाव के साथ ही  खिंचाव से दर्द महसूस होने लगता है।
  • हृदय के रोगी को मितली, आकस्मिक रूप से सीने में जलन होने लगती है
  • हृदय के रोगी को पेट में दर्द के साथ ही पाचन में भी गड़बड़ी शिकायत होती है 
  • रोगी को सामान्य तौर पर पैरों में दर्द एवं सूजन उभर आती है।
  • हृदय के रोगी को पसीना अधिक आता है ,इसके साथ ही घबराहट होना हृदय संबंधी रोग की ओर इशारा करते हैं।

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हृदय रोग से बचाव एवं उपाय

 

  • दिल से संबंधित रोगी को या विशेष तौर पर ध्यान देना चाहिए ,कि वह दवाइयों को नियमित रूप से ले।
  •  रोगी को चाहिए, कि वह मांसपेशियों और सुदृढ़ बनाए रखने के लिए डॉक्टर की सलाह के उपरांत अपनी दिनचर्या में योग को प्राथमिकता दे
  • हृदय रोगी को अपने आहार पर विशेष ध्यान देना चाहिए उसका आहार संतुलित होना चाहिए एवं इसमें पौष्टिक आहार का समावेश हो।
  • दिल से संबंधित रोग से ग्रसित व्यक्ति को धूम्रपान का त्याग कर देना चाहिए।
  • हृदय रोगी को अपने लाख रक्तचाप को समय-समय पर चेक कराते रहना चाहिए, यह बहुत महत्वपूर्ण है कि रोगी का रक्तचाप नियंत्रित रहे।
  • योग के साथ साथ व्यायाम के लिए भी थोड़ा सा समय निकालें
  • हृदय से संबंधित व्याधियों से निजात पाने के लिए यह बेहद जरूरी है, कि व्यक्ति का कोलेस्ट्रोल  बढ़े ना।
  •  हृदय रोगी को अपने वजन का विशेष तौर पर ध्यान देना चाहिए वजन का बढ़ना हृदय रोग को बढ़ावा देने की समान है
  •  रोगी कोसमय-समय पर ह्रदय की जांच कराते रहें ,एवं हृदय से संबंधित रोगों के लक्षण के  परिलक्षित होते ,तत्काल रुप से डॉक्टर से मिले।
  • हृदय से संबंधित बीमारी का पता लगाने के लिए समय-समय पर रक्त की जांच करानी चाहिए साथ ही ईसीजी की जांच कराएं।
  • सामान्य तौर पर देखा गया है ,कि व्यक्ति डाइट के माध्यम से शीघ्र ही अच्छे स्वास्थ्य को प्राप्त कर लेता है ।यदि रोगी अपनी डाइट में  परिवर्तन लाएं तो इससे प्रभावी परिणाम देखने को मिलता है।

हृदय रोग का उपचार

  • हृदय रोगी को हृदय में आकस्मिक दर्द होने पर डॉक्टरों के निगरानी में रहना चाहिए।
  • हृदय रोगी को अचानक से हृदय से संबंधित परेशानी होने पर कुछ मिनट बेहद जोखिम से भरे होते है। ऐसे में डॉक्टर कोरोनरी धमनिया जो ब्लॉक हो चुकी होती दवाइयों के माध्यम से खोला जाता है
  • इलाज के दौरान रोगी की हृदय की धड़कन पर विशेष ध्यान देना होता है ।असंतुलन होने पर तत्काल रुप से उपचार किया जाता है ।कभी-कभी रोगी को बहुत तेज दर्द हो जाता है ,ऐसे में आराम पहुंचाने के लिए दर्द निवारक गोलियां दी जाती है ,और रोगी को पूर्ण रूप से आराम करने की हिदायत दी जाती है।
  • हृदय रोगी का रक्तचाप का अधिक होना भी जोखिम से भरा होता है उसे नियंत्रित करने के लिए दवा दी जाती है।

वास्तविकता में हृदय संबंधी रोगी का इलाज उसके लक्षणों  पर निर्भर करता है। इसके साथ ही रोगी की आयु एवं हृदय संबंधी रोगों की गंभीरता आदि का विशेष रुप से ध्यान रखना होता है

इलाज के दौरान इस बार पर भी ध्यान दिया जाता है ,कि इलाज के दौरान हृदय को किसी भी प्रकार से नुकसान ना पहुंचे

कई बार हृदय के रोगों का उपचार करने के  निश्चित प्रक्रिया तय की जाती है इसके तहत कोरोनरीएन्जिओप्लास्टी के द्वारा उपचार किया जाता है ।इस पद्धति में गुब्बारे की सहायता से धमनियों का का विस्तार किया जाता है ।कोरोनरी बायपास सर्जरी के माध्यम से भी रोगी को स्वस्थ किया जाता है।

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