माता ब्रहाचारिणी :- को माँ दुर्गा का दूसरा रूप कहा जाता है माता ब्रहाचारिणी की कृपा हम सभी पर बनी हुई है | हम माँ का आशीर्वाद पाकर जीवन यापन करते है|श्रदालु एव भक्त जन विभिन प्रकार से माँ की श्रदा प्राप्त करने के लिए व्रत का अनुस्ठान करते है| माँ भगवान शंकर को पति रूप में प्राप्त करने के लिए घोर तपस्या की थी इस कठिन तपस्या के कारण इस देवी को ब्रहचारिणी के नाम से जाना जाता है माता ब्रहचारिणी हमेशा से ही शांत और संसार लीन होकर ही तपस्या करती थी माँ के हाथों अक्ष माला और कमडल होता था तपस्या में लीन थी माता ब्रहचारिणी कठोर तप और ध्यान की देवी “ब्रहचारिणी माँ दुर्गा का दूसरा रूप है इनकी उपासना नवरात्री के दूसरे दिन की जाती है ब्रहचारिणी स्वाधिष्टान चक्र में ध्यान इनकी साधना की जाती है संयम , तप वैराग्य तथा विजय प्राप्ति की दायिका है माता ब्रहचारिणी को ब्रहमा जी का स्वरूप मन जाता है | और इस देवी के अन्य नाम भी है जैसे तपश्चारिणी।,अपर्णा और उमा इस दिन साधक का मन “स्वाधिष्ठान चक्र” में स्थित होता है|
ब्रहा का अर्थ – तपस्या
चारिणी का अर्थ – आचरण करने वाली
मत्र – दधना करपद्याभ्यांक्षमालाकमण्डलु !
माता ब्रहाचारिणी पूजा विधि :- माता ब्रहाचारिणीजी की पूजा का विधान इस प्रकार है | सबसे पहले जिन देवी देवताओ व गणों को कलश में आंमत्रित किया है| उनकी फूल अक्षत ,रोली ,चंदन ,से पूजा करे उन्हें दूध ,दही व मधु से स्नान कराये व देवी कुछ प्रसाद अर्पित कर रहे है | इनमे से एक अंस देवी को अर्पण करें ले प्रसाद के बाद आचमन और फिर पान ,सुपारी भेंट क्र इनकी प्रदक्षिणा करें कलश देवता की पूजा के बाद इसी प्रकार नवग्रह ,दशदिक्पाल , नगर द्वेता , ग्राम द्वेता, की पूजा करें देवी की पूजा करते समय सबसे पहले हाथो में फूल लेकर प्रार्थना करें “दधाना कृपज्ञाभयंक्षमालाकमण्डलु :इसके बाद देवी पंचामृत स्नान करायें और फिर भाँति भाँति से फूल ,अक्षत ,कुमकुम ,सिंदूर देवी को फूल व कमल पसंद है उनकी माला पहनाये ,प्रसाद और आचमन के पश्चात पान सुपारी भेंट क्र प्रदक्षिणा करें अंत और घी व कपुर मिलाकर देवी आरती करें अंत में क्षमा प्रार्थना करें|
माता ब्रहाचारिणी की पूजा इस मत्र से करें।
या देवी सर्व भूतेषु ब्रहाचारिणी रूपेण संसिथिता।
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमोः नम : ….
माता ब्रहच्रारिणी मंत्र ……….
विधा समस्तस्व देवी भेदा: स्त्रियाँ समस्ता : सकला जगत्सु।।
त्वयैकया पुरितमम्बयत्त,का ते स्तुति :स्व्यपरा प्रोक्ति।
माता ब्रहाचारिणी को हरि चीज बेहद पसंद है। इसलिय इन्हें हरे रग की वस्तु अर्पित करनी चाहिए। माता ब्रहाचारिणी माता को मिश्री का भोग अति प्रिय है|इसलिए इनकी पूजा में मिश्री का भोग लगाना चाहिए ऐसा करने से सभी काम में तर्की होती है| साथ ही इस कथा का सार यह की जीवन के कठिन संघर्षो में भी मन विचलित नहीं करना चाहिए माता ब्रहाचारिणी की पूजा इस मत्र से करें।
या देवी सर्व भूतेषु ब्रहाचारिणी रूपेण संसिथिता।
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमोः नम : ….
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