माता शैल पुत्री : – नवरात्रा की स्थपना के दिन शैलीपुत्री की पूजा की जाती है| इस देवी की पूजा दुर्गा जी के पहले स्वरूप में की जाती है| नवरात्रा के स्थपना नौ देवियों की पूजा विधि विधना के साथ में की जाती है |शैल पुत्री नवदूर्गा के रूप में प्रथम स्थान दिया गया है |शैल देवी का जन्म पर्वतराज हिमालय के घर पुत्री रूप में उतपन्न होने के कारण इनका नाम शैल पुत्री पड़ा इसी कारण से नवरात्रा के प्रथम दिन शैल पुत्री देवी को उपसना की जाती है यही से नो देवियो की उपसना व साधना प्रारभ की जाती है| नवरात्रा पहली देवी माता शैल पुत्री
शैल देवी का संबधित हिन्दू देवी
शैल देवी का अस्त्र – सस्त्र त्रिशूल
जीवनसाथी शिव
वाहन गाय
ह स्क्न्दमातेति षष्ठ कतयतनीति च !
सप्तमं कालरात्रीती महागौरीति चाष्टंम !!
नवंम सिद्धीदात्री च नवदुर्गा:प्रकितिरता :!
मूर्ति पूजन की विधि:- कलश पर मूर्ति की स्थपना की जाती है मूर्ति की बनावट किसी भिओ धातु या फिर मिटटी हो सकती है कलश की पीछे स्वास्तिक और युग्म पार्श्व में त्रिशूल बनाये शैल पुत्री के पूजन करने से”मूलाधारचक्र ” जाग्रत होता है जिससे अनेक प्रकार की उप्लब्धिया प्राप्त होती है|
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