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Piles Kaise Hota Hai:- पाइल्स एक प्रकार की बीमारी है। इसके अंतर्गत व्यक्ति के एनस के अंदर एवं बाहर हिस्सों की शिराओं में सूजन उभर आती है ।जिसके फलस्वरूप गुदा के अंतः एवं बाह्य हिस्सो में मस्से जैसी संरचना उभर कर आती है ।मस्से से कभी कभी अल्प रक्त स्त्राव होने से व्यक्ति को बहुत पीड़ा की अनुभूति होती है। प्रायः देखा गया है कि दबाव लगाने पर यह मस्से उभर कर बाहर की ओर आ जाता है ।विचित्र बात यह है ,कि यदि परिवार के किसी भी एक सदस्य को यह बीमारी हो जाती हैं तो वहां वंशागत रूप से उसकी संतान को भी इस बीमारी की संभावना होती है । सामान्य तौर पर देखा गया है कि 50 उम्र के पार होने वाले पर व्यक्ति को यह बीमारी 50 फ़ीसदी होने की संभावना बढ़ जाती है।
बाबासीर व्यक्ति को मुख्य दो रूप दो प्रकार होता है:-
- इंटरनल हेमोरॉयड्स यह मलाशय के अंदरुनी भाग में विकसित होता है
- एक्सटर्नल हेमोरॉयड्स एवं त्वचा के नीचे प्रायः विकसित होता है।
दोनों प्रकार के बाबासीर होने की स्थिति में थ्रोम्बोस्ड हेमोरॉयड्स के रूप में उभर कर आते हैं ।शरीर में या सामान्य नसों के अंदर खून के थक्के जमने लग जाते हैं ।यह कोई गंभीर बीमारी नहीं ,परंतु इसमें रोगी के अपार पीड़ा एवं आसपास अंगो सूजन आ जाती है।
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पाइल्स के लक्षण:-
1निरंतर रक्त का स्त्राव होना
2)अनस के निकटतम हिस्सों में सूजन होना।
3)व्यक्ति को अनस के आसपास के हिस्सों में खुजली उत्पन्न होती है।
4)मल त्याग करने के बावजूद व्यक्ति को भ्रम सा लगा होता है , जैसे कि उसने मल त्याग ना किया हो।
5)पाइल्स के मस्सों से स्वतः रक्तस्राव होता है, परंतु दर्द नहीं होता यदि व्यक्ति को दर्द हो तो समझ ले, कि निश्चित तौर पर उसे संक्रमण है।
7)व्यक्ति के मल के रंगों में परिवर्तन होना।
8)व्यक्ति अपनी दिनचर्या अनुसार मल त्याग कर पाने में असमर्थ होना।
9)गुदा में दर्द उत्पन्न होना एवं बुखार आना।
10 कमजोरी के कारण रोगी को चक्कर भी आते हैं।
11)सिर घूमने के साथ-साथ व्यक्ति को पेट में दर्द की शिकायत होती है
12)जी मिचलाना एवं उल्टी होना।
बवासीर से बचने के लिए उपाय:-
1)व्यक्ति को भोज्य पदार्थों में फाइबरयुक्त फूड्स का सेवन करना चाहिए।
2)व्यक्ति को भोजन नियमित रूप से निर्धारित समय पर करना चाहिए।
3)अधिक से अधिक पीना का सेवन करना चाहिए।
4)फलों के ताजा जूस एवं हरी सब्जियों का सूप बनाकर पीना चाहिए।
5)जीवनशैली में परिवर्तन उचित लाना चाहिये ,स्वास्थ्य के प्रति जागरुकता काफी सफल अनुप्रयोग में से एक है ।
6)अधिक तैलीय मसाले से रहित भोजन करना चाहिए,बाहर की खाद्य पदार्थों से बचना चाहिये।
7)व्यक्ति को अपनी दिनचर्या में व्यायाम शामिल कर लेना चाहिए।
पाइल्स का संभावित इलाज:-
1)यदि व्यक्ति को बवासीर से आराम नहीं मिलता यदि स्थिति में व्यक्ति को डॉक्टर के पास जाकर सर्वोत्तम इलाज कराना चाहिए ।लापरवाही के चलते कभी-कभी व्यक्ति को सर्जरी कराने की भी स्थिति उत्पन्न हो जाती है।
2)कुछ दवाइयां भी पाइल्स के लिए खास असरदार होती हैं जैसे कि विच हेजल ,ह्य्डोकॉर्टीसोन यह एक प्रकार की खुजली एवं दर्द निवारक के रूप में अनुप्रयोग की जा सकती है।
3)बाबासीर में जलन को कम करने के लिए एवं दर्द निवारक के लिए कॉर्टिकोस्टेरॉइड्स का प्रयोग किया जाता है
बवासीर के लक्षण के आधार पर चार चरणों में विभाजित किया गया है ।:-
प्रथम चरण- इस स्थिति में व्यक्ति के गुदा में सूजन उभर आती है रोगी के अंतः हिस्से में मस्से जैसी आकृतियां उभर आती है।
द्वितीय चरण- इस अवस्था में मस्से का आकार में वृद्धि होती है ।जो कि मस्से अंतः स्थित होते हैं ।यह मल के साथ दबाव में बाहर आ जाते हैं ,उपचार स्वरूप इन्हें अंदर किया जाता है।
तृतीय चरण- इसमें मस्से की आकृति गूदा के बाहर हिस्से में उभर कर लटक आता है इसकी अनुभूति पीड़ित को होती है उसे लगता है कि कुछ उसके अंग में परिवर्तन हुआ है ।
चतुर्थ चरण- इसमें गुदा के बाह्य अंगों में छोटी गांठ विकसित हो जाती है ।फलस्वरुप रोगी को दर्द एवं खुजली परेशान हो जाता है ।यह बेहद ही तकलीफ देय स्थिति है।