इस आलेख में हम बात कर टिड्डी क्या हैं , टिड्डी जातियाँ , टिड्डी की प्रजनन स्थिति , टिड्डियों का भोजन और कुछ खास बातें , टिड्डी के निवास स्थान , टिड्डी का इतिहास , tiddi kiya h ,टिड्डी नियंत्रण, टिड्डी दल का आक्रमण , टिड्डी दल के बारे मे जानकारी , टिड्डी दल के हमले की आशंका, खतरनाक इसलिए क्योंकि एक ही रात में चट कर जाती हैं पूरा खेतआदि की जानकारी इस आलेख के बारे में विस्तार से बतया हुआ हे |बीकानेर, जैसलमेर आदि क्षेत्रों में टिड्डी दल के आगमन की सूचना के बाद कृषि विभाग ने पूरे जिले में अलर्ट जारी कर दिया है। खास बात यह है कि यह अलर्ट 26 साल बाद जारी हुआ है इससे पहले ऐसा अलर्ट वर्ष 1993 में जारी किया गया था।
टिड्डी दल का आक्रमण देखे हु पअशोक गहलोत मुख्यमंत्री बयान:- हमें चिंता यह भी है कि अभी राजस्थान के अंदर टिड्डी दल आ गया है. पाकिस्तान की तरफ से आता है और वह हमला करता है हमारे यहां पर और फसलों को नष्ट कर देता है, अभी हमला किया हुआ है जैसलमेर पर. हमने अपने विभागों को कहा है कि आप केंद्र सरकार के नजदीक रहे क्योंकि केंद्र सरकार ही आगे आकर जो कदम उठाने पड़ते हैं उठाती है. पहले भी ऐसे हमले हुए हैं फसलें चौपट नहीं हो जाए किसानों की चिंता मुझे लगी हुई है. मैंने अपने अधिकारियों से बात करी है, जरूरत पड़ेगी तो और हम आगे की कार्रवाई करेंगे.
tiddi kiya h:-टिड्डी (Locust) ऐक्रिडाइइडी (Acridiide) परिवार के ऑर्थाप्टेरा (Orthoptera) गण का कीट है। हेमिप्टेरा (Hemiptera) गण के सिकेडा (Cicada) वंश का कीट भी टिड्डी या फसल डिड्डी (Harvest Locust) कहलाता है। इसे लधुश्रृंगीय टिड्डा (Short Horned Grasshopper) भी कहते हैं। संपूर्ण संसार में इसकी केवल छह जातियाँ पाई जाती हैं। यह प्रवासी कीट है और इसकी उड़ान दो हजार मील तक पाई गई है।
टिड्डी जातियाँ:-
प्रवासी टिड्डियों की निम्नलिखित प्रमुख जातियाँ हैं :
1. उत्तरी अमरीका की रॉकी पर्वत की टिड्डी
2. स्किस टोसरका ग्रिग्ररिया (Schistocerca gregaria) नामक मरुभूमीय टिड्डी,
3. दक्षिण अफ्रीका की भूरी एवं लाल लोकस्टान पारडालिना (Locustana pardalina) तथा नौमेडैक्रिस सेंप्टेमफैसिऐटा (Nomadacris semptemfaciata),
4. साउथ अमरीकाना (South Americana) और
5. इटालीय तथा मोरोक्को टिड्डी। इनमें से अधिकांश अफ्रीका, ईस्ट इंडीज, उष्ण कटिबंधीय आस्ट्रेलिया, यूरेशियाई टाइगा जंगल के दक्षिण के घास के मैदान तथा न्यूजीलैंड में पाई जाती हैं।
टिड्डी की प्रजनन स्थिति:-मादा टिड्डी रेत के अंदर सैल बनाकर 10 से लेकर 100 अंडे देती है। जो गर्म जलवायु होने पर 20 दिन के अंदर फूट जाते हैं। लेकिन शीतकाल के अंदर अंडे सुप्त बने रहते हैं। मादा टिड्डी के पंख नहीं होते हैं। बस वह अन्य बातों के अंदर अन्य टिड्डी के समान ही होती है। उसका भोजन वनस्पति है। यह 5 से 6 सप्ताह के अंदर व्यवस्क हो जाती है। इस अवधी के अंदर टिडडी की त्वचा कई बार बदलती है। वह 20 से 30 दिन के अंदर पूरी प्रौढ हो जाती है।
टिड्डियों की दो अवस्थाएँ होती हैं:-
1. एक चारी
2. यूथचारी
प्रत्येक अवस्था कायकी व्यवहार और आक्रति आदि के अंदर एक दूसरे से अलग अलग होती है।एकचारी के अंदर अपना रंग परिवर्तित करने की क्षमता होती है। यह पर्यावरण के अनुसार खुद को बदल लेती है। इसकी ऑक्सिजन लेने की गति मंद होती है। जबकि यूथचार के अंदर इसका रंग फिक्स पीला होता है। इसकी ऑक्सिजन लेने की दर उंची होती है। यह ताप को अ धिक अवशोषित कर लेता है। इसकी म्रत्यूदर काफी अधिक होती है। फिर भी यह खुद को जीवित रखती हैं।
टिड्डियों का भोजन और कुछ खास बातें:-टिड्डियों के दलों के खेत पर आक्रमण करने से खेत को भारी नुकसान होता है। समझो खेत के अंदर कुछ नहीं बचता है। एक कीट अपने वजन के बराबर फसल खा जाता है। इसका वजन 2 ग्राम होता है।एक छोटे से टिडडी दल का हिस्सा एक दिन मे उतनी खाध्य सामग्री खा जाते हैं जितनी कोई 3000 हजार इंसान खा सकते हैं। लेकिन टिडडे की उम्र कोई ज्यादा नहीं होती है। यह 4 से 5 महिने ही जीवित रह पाते हैं।
टिड्डी के निवास स्थान:-टिड्डी अपने निवास स्थानों को ऐसी जगह पर बनाती हैं। जहां पर जलवायु असंतुलित होता है।ऐसी जगह काफी कम ही होती हैं।फिलिपीन के आर्द्र तथा उष्ण कटिबंधीय जंगलों को जल चुके घास के मैदान कैस्पियन सागर ऐरेल सागर व बालकश झील में गिरनेवाली नदियों के बालू से घिरे डेल्टा
रूस के शुष्क तथा गरम मिट्टी वाले द्वीप, यह नम और ठंडे रहने की वजह से काफी उपयुक्त हैं। इस क्षेत्र में बहुत अधिक संख्या में टिड्डियाँ एकत्र होती हैं|मरूस्थल के अंदर घास के मैदान जहां पर जलवायु विषमता रहती है।यूथचारी टिड्डियाँ गर्मी के दिनों के अंदर उड़ती हैं। जिसकी वजह से इसकी पेशियां सक्रिय रहती हैं। और इसके शरीर का ताप अधिक होता है। वर्षा की स्थिति के अंदर इनकी उड़ान नहीं होती है।मरुभूमि टिड्डियों के झुंड गर्मीकाल के अंदर उड़ान भरती हैं। यह कई देशों के अंदर आते हैं। जिसमे अरब देस भारत ईरान और अफ्रिका आदि आते हैं। लोकस्टा माइग्रेटोरिया भारत अर्फिका के अंदर आकर फसल को पूरी तरह से बरबाद कर देती है।
टिड्डी का इतिहास:-1422 ई से 1411 ईसा पूर्व होरेमब, प्राचीन मिस्र के कब्र-कक्ष में टिड्डी का उल्लेख मिलता है|इतिहास के अंदर टिड्डियों का उल्लेख मिलता है। जो हवा की दिशा के अंदर और मौसम बदलने से अचानक पहुंच गए और विनाश किया ।प्राचीन मिस्रियों ने 2470 से 2220 ईसा पूर्व की अवधि में कब्रों पर टिड्डों की नक्काशी की थीइलियड ने आग से बचने के लिए विंग में ले जाने वाले टिड्डों का उल्लेख किया है।कुरान में टिड्डियों के स्थानों का भी उल्लेख किया गया है।नौवीं शताब्दी ईसा पूर्व में, चीनी अधिकारियों ने टिड्डे विरोधी अधिकारियों को नियुक्त किया गया था।
टिड्डी नियंत्रण:-टिड्डी का नियंत्रण करना भी कोई आसान काम नहीं है। सरकार टिड्डी के नियंत्रण के लिए विशेष दल का गठन करके रखती है। टिड्डी को हवा के अंदर नष्ट करने के लिए विषैला चारा और विषैली ओषधियों का छिड़काव किया जाता है। गेंहू की भूसी का भी छिड़काव होता है। अंडों को नष्ट करने के लिए तेल का छिड़काव किया जाता है।
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