क्या आप ये जानते है ट्रेन के बीच में ही क्यों होते हैं AC कोच के डिब्बे?

ज्यादातर ट्रेनों में पहले इंजन, फिर जनरल डिब्बा, फिर कुछ स्लीपर और बीच में एसी डिब्बे उसके बाद फिर से स्लीपर और स्लीपर के बाद एक या दो जनरल डिब्बा और लास्ट में गार्ड रूम होते हैं

रेलवे में अपर क्लास के डिब्बे बीच में लगाए जाने का चलन कब शुरू हुआ जब भारत में स्टीम इंजन का बोलबाला था. बाद में डीजल इंजन आए. इन दोनों इंजनों में बहुत शोर होता था

जब ट्रेन चल रही हो तो शोर कुछ ज्यादा ही होता है. अपर क्लास के पैसेंजर को कम शोर सुनना पड़े, इसके लिए उनका डिब्बा इंजन से थोड़ा दूर लगाया जाता था. हालांकि अभी ज्यादातर इलेक्ट्रिक इंजन चल रहे हैं जिनके चलने पर शोर कम से कम होता है

रेलवे के सीनियर अधिकारी बताते हैं कि ट्रेन में कोच ये डिजाइन सेफ्टी और पैसेंजर की सुविधा को ध्यान में रखते हुए बनाया जाता है. ट्रेनों में इस तरह कोच लगाने का ये क्रम अंग्रेज राज से शुरू हो गया था.

अपर क्लास के कोच और लेडीज कंपार्टमेंट ट्रेन के बीच में होते हैं. वहीं, इंजन के एकदम पास लगेज कोच और सेकेंड क्लास के डिब्बे लगाए जाते हैं. इंजन के पास वाले कोच में बीच वाले कोच के मुकाबले ज्यादा झटके महसूस होते हैं

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