वायरल फीवर के रोगी को क्या खाना चाहिए – वायरल फीवर मुख्य रूप से हमारे इम्यून सिस्टम को प्रभावित करके, कमजोर कर देता है। इम्यून सिस्टम हमारे शरीर में रोगों को से लड़ने एवं नियंत्रण का करने के काम आता है ।इम्यून सिस्टम में गड़बड़ी होने से रोगी के शरीर में संक्रमण अति शीघ्र हो जाता है। यही नहीं वायरल फीवर की स्थिति में एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में भी संक्रमण की स्थिति उत्पन्न हो जाती है। वायरल फीवर में नहाना चाहिए वायरल बुखार में क्या खाना चाहिए वायरल फीवर में नहाना चाहिए या नहीं Viral Fever Mein Kya Khana Chahie बुखार में नहाना चाहिए या नहीं Viral Fever Mai Kya Khana Chahiye फीवर में नहाना चाहिए या नहीं Viral Fever Me Nahana Chahiye Ya Nahi , वायरल फीवर क्या है , वायरल बुखार का रामबाण इलाज , टाइफाइड बुखार में क्या खाना चाहिए , बुखार में केला खाना चाहिए
वायरल फीवर के रोगी को क्या खाना चाहिए
- 1.) नींबू और मौसमी संतरा-वायरल होने के दौरान रोगी को मौसमी संतरा एवं नींबू का अधिक सेवन करना चाहिए ,क्योंकि इसमें विटामिन सीवीटा कैरोटींस की मात्रा प्रचुर होती है ।यह रोगी की रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाता है। जिससे वह अच्छे स्वास्थ्य को अतिशीघ्र प्राप्त कर लेता है।
- 2.) ड्राई फ्रूट्स-वायरल के रोगी को ड्राई फूड्स अवश्य रुप में खाएं इसका एकमात्र कारण है ।ड्राई फूड्स में जिंक की मात्रा अधिक होती है ।जिससे व्यक्ति के शरीर में ऊर्जा का संचार होता है ।रोगी का बुखार पहले की अपेक्षा काफी हद तक नियंत्रित हो जाता है ।ड्राई फ्रूट्स में मुख्य तौर पर बादाम, किशमिश खाना काफी लाभकारी है।
- 3.) लहसुन-लहसुन वैसे तो जायका बढ़ाने के काम आता है। परंतु लोग इस बात से अनजान है ,कि लहसुन में कैल्शियम, फास्फोरस एवं खनिज जैसे तत्व विद्यमान होते हैं। जिससे व्यक्ति में सर्दी जुखाम ,दर्द, सूजन, त्वचा संबंधी व्याधियों उत्पन्न नहीं होने नहीं देती ।आप लहसुन का सेवन भी एवं तेल में तलकर एवं कच्चा चटनी के रूप में भी खा सकते हैं।
- 4.) तुलसी- वैसे तो सभी इस तथ्य से अवगत हैं ,कि तुलसी में खांसी जुकाम ,बुखार एवं स्वास्थ संबंधी सामान्य रोगों से लड़ने में तुलसी औषधीय का काम करती है ।ऋतु परिवर्तन की स्थिति में तुलसी की पत्तियों को उबालकर एवं चाय में पकाकर पीने से नाक एवं गले के संक्रमण से बचा जा सकता है।
- 5.) संतरे का रस -वायरल होने की स्थिति में संतरे का जूस काफी प्रभावी सिद्ध होता है। संतरे का जूस को पीने से शरीर को बल मिलता है। इतना ही नहीं यह हमारे शरीर के इम्यून सिस्टम को बढ़ाने में भी काफी सहायक है।
- 6.) उबली हुई सब्जियां-वायरल से पीड़ित व्यक्ति को सब्जियों को पूर्ण रूप से ना पकाकर हल्का उबालकर मसाला रहित भोजन के रूप में लेना चाहिए ।साथ ही सब्जी को काली मिर्च एवं हल्का नमक डालकर आहार के रूप में लेने से शरीर का तापमान संतुलित होता है, इसी के साथ रोगी की इम्यून सिस्टम में भी मजबूत होता है।
- 7.) केले एवं सेब- वायरस से ग्रसित व्यक्ति को फलों में केला एवं सेब को खाना करना चाहिए ।इन फलों में पोटेशियम विद्यमान होता है। यह वायरल को खत्म करने एवं उसे बढ़ने वाली समस्याओं से निजात दिलाने में सहायक है। एक और स्मरणीय तथ्य है, कि फलों का चुनाव करते समय सदैव छिले हुए फलों का सेवन करें ,संतरा ,मौसंबी का सेवन वायरल में असरदार है ।इसके साथ ही आप अनार एवं सेव को भी खा सकते हैं।
- 8.) दही –वायरल से संक्रमित रोगी को दही का सेवन करना चाहिए ,क्योंकि दही बैक्टीरिया को मात देने में सहायक होते हैं। दही पाचन क्रिया को दुरुस्त रखने में भी काफी कारगर है। दही के सेवन से पेट की गड़बड़ी, आलस एवं ज्वर को ठीक किया जा सकता है।
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वायरल के दौरान किन चीजों को खाने से बचना चाहिए
- 1.) फ्राइड फूड – वायरल से पीड़ित व्यक्ति के लिए फ्राइड फूड काफी हानिकारक सिद्ध होता है। वायरल के दौरान फ्रेंच फ्राई ,ड्र एवं जंक फूड का पूर्णतया त्याग कर देना चाहिए।
- 2.) कुकीज एवं बिस्किट -वायरल से पीड़ित व्यक्ति को सामान्य तौर पर सर्दी एवं जुखाम के लक्षण पाए जाते हैं। ऐसी स्थिति में बाजार में उपलब्ध को कुकीज एवं अन्य खाद्य पदार्थों के साथ डेयरी से उत्पादित पदार्थ को पूर्ण रूप से निषेध कर देना चाहिए ।वास्तविकता में यह पदार्थ शरीर में कफ बनाने में सहायक होते हैं ।परिणामस्वरूप आपको परेशानी हो सकती है ।सामान्य तौर पर रोगी को घर पर ताजा एवं गर्म खाना खाना चाहिए।
- 3.) नॉनवेज –वायरस से ग्रसित व्यक्ति को भूलकर भी हैवी नॉनवेज नींबू अथवा कोई खट्टी चीजों का सेवन नहीं करना चाहिए।
- 4.) ठंडी चीजों से –वायरल होने की स्थिति में रोगी को ठंडे एवं तरल पदार्थ पर कुछ दिन के लिए पाबंदी लगा देनी चाहिए, क्योंकि इसके सेवन से शरीर में पानी का संतुलन बिगड़ जाता है। इसके अलावा व्यक्ति को बहुत अधिक चिंतन नहीं करना चाहिए क्योंकि अधिक चिंतन से मस्तिष्क पर जोर पड़ता है, जिसके परिणाम स्वरुप शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता कम होती है, एवं रोगी को पूर्ण रूप से स्वस्थ होने में अधिक समय लग जाता है।